मधुमेह की लंबी अवधि से होने वाली समस्याएं
मधुमेह शरीर के हर अंग में समस्याएं पैदा कर सकती है। इनमें अधिकांश समस्याएं धीरे-धीरे विकसित होती हैं। अगर आपकी मधुमेह की अवधि लम्बी है और विशेष रूप से अगर आपका शुगर स्तर नियंत्रण में नहीं है, तो यह समस्याएं विकसित होने की संभावना अधिक हो जाती है। यह समस्याएं शरीर को अक्षम कर सकती हैं और कभी कभी मृत्यु का कारण भी हो सकती हैं।
अच्छी खबर यह है अगर आप अच्छी तरह से अपने शर्करा नियंत्रण करें, आप इन जटिलताओं से लम्बे समय तक बच सकते हैं या इन्हें आने से रोक भी सकते हैं।
मधुमेह से होने वाली समस्याएं इस प्रकार हैं –
१. उच्च कोलेस्ट्रॉल –
अनियंत्रित मधुमेह बुरे कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि कर सकता है| कोलेस्ट्रॉल आपकी रक्त वाहिकाओं में जम जाता है और वाहिकाओं को संकीर्ण कर देता है| इसे अथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis ) कहते हैं।
बचाव की युक्तियाँ
१. हर वर्ष अपने कोलेस्ट्रॉल की जाँच करें।
२. धूम्रपान बंद कर दें ।
३. अतिरिक्त वजन कम करें ।
४. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं ।
५. आहार नियंत्रित करें (सब्जियों और फलों की मात्रा बढ़ाएं, वसा या कोलेस्ट्रॉल का सेवन कम करें)।
६. अगर आपके डॉक्टर द्वारा कोलेस्ट्रॉल कम करने की कोई दवा निर्धारित की गयी है, तो उसका सेवन हर रोज़ करें।
२. उच्च रक्तचाप–
उच्च रक्तचाप से दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
याद रखें –
50% उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगी स्पर्शोन्मुख हो सकते हैं (यानि उनमें उच्च रक्तचाप का कोई भी लक्षण नहीं होगा )। इसलिए यह महत्वपूर्ण है की जब भी आप जांच के लिए डॉक्टर के पास जाएं रक्त चाप की जांच अवश्य करवाएं।
बचाव की युक्तियाँ –
१. अपने आहार में नमक की मात्रा कम कर दें। सबसे अच्छा तरीका है की अपने आहार में अतिरिक्त नमक कम कर दें (उदाहरण के लिए – दही, सलाद में नमक ना लें और अचार, नमकीन लस्सी से बचें आदि ।
२. वजन घटाएं।
३. धूम्रपान बंद करें ।
४. शराब (अल्कोहल) का सेवन कम कर दें ।
५. अपने डॉक्टर द्वारा सुझाई गयी दवाओं का सेवन नियमित रूप से करें।
३. हृदय रोग –
मधुमेह के कारण हार्ट अटैक और सीने में दर्द (एनजाइना) की संभावना बढ़ जाती है। मधुमेह रोगियों को साइलेंट हार्ट अटैक भी हो सकता है (यानि की हार्ट अटैक के समय में भी सीने में दर्द महसूस नहीं होना)। हृदय रोग मधुमेह रोगियों में मृत्यु का महत्वपूर्ण कारण है।
हृदय रोग के लक्षण–
सीने में दर्द या बेचैनी, बाहों में दर्द, पीठ, जबड़े, गर्दन या पेट में दर्द होना, श्वास की तकलीफ, पसीना, मितली, चक्कर आना या थकान महसूस होना। मधुमेह तंत्रिकाओं (nerves) को क्षति पहुंचाता है, इसलिए दिल का दौरा भी पीड़ारहित और स्पर्शोन्मुख हो सकता है।
बचाव की युक्तियाँ
१. धूम्रपान बंद कर दीजिये।
२.अतिरिक्त वजन कम कीजिये।
३. शारीरिक गतिविधि बढाइये।
४. आहार नियंत्रीत कीजिये (कम वसा, कम कोलेस्ट्रॉल वाला आहार और अधिक सब्ज़ियाँ और फल लीजिये)।
५. अगर आपके डॉक्टर द्वारा कोलेस्ट्रॉल कम करने की कोई दवा निर्धारित की गयी है, तो उसका सेवन हर रोज़ करें।
६. रक्त शर्करा और रक्तचाप को नियंत्रण में रखें।
७. नियमित रूप से जाँच करवाएं।
४. लकवा / स्ट्रोक –
मधुमेह के कारण कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल आपकी मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में जम जाता है और वाहिकाओं को संकीर्ण कर देता है। इससे रक्त थक्का ( blood clot ) बन जाता है और वाहिकाओं में रुकावट कर सकता है। इससे स्ट्रोक (लकवा) होने की संभावना बढ़ जाती है।
याद रखें –
लकवे का जोखिम और भी बढ़ जाता है अगर –
१. आपकी उम्र ५५ साल ( 55 years ) से ज़्यादा है।
२. आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को अतीत में स्ट्रोक हो चुका है।
३. आप हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।
४. आपका वजन अधिक है।
५. आप धूम्रपान करते हैं।
६. आप शारीरिक रूप से ज़्यादा सक्रिय नहीं हैं।
लकवे के लक्षण –
अचानक गंभीर सिर दर्द होना, हाथों और पैरों की कमज़ोरी आना ( शरीर के एक तरफ की कमज़ोरी), हाथ पैर अकड़ना या सुन्न होना, स्मृति खोना, अवसाद या बोलने / समझने में कठिनाई, निगलने में दिक्कत होना या संतुलन बनाये रखने में दिक्कत होना।
बचाव की युक्तियाँ –
१. रक्त शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें।
२. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं ।
३. धूम्रपान बंद करें।
५. गुर्दों का रोग ( Nephropathy )-
गुर्दे हमारे रक्त से अपशिष्ट सामग्री निकाल कर उसे साफ़ करने में मदद करते हैं। इस कार्य के लिए गुर्दों में कई छोटी छोटी रक्त वाहिकाओं का समूह होता है (इसे ग्लोमेरुलाई कहते हैं)। मधुमेह की वजह से इन ग्लोमेरुलाई को हानि पहुँचती है। इस कारण गुर्दे अपना काम नहीं कर पाते है। गुर्दों की यह विफलता गंभीर रूप ले सकती है और इन मरीज़ों को डायलिसिस एवं गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्कता भी पड़ सकती है।
याद रखें –
गुर्दों का रोग तब तक लक्षण नहीं देता जब तक यह उन्नत चरण में नहीं पहुँच जाता। अगर कुछ लक्षण विकसित होते भी हैं तो वह बेहद सूक्ष्म होते हैं और उनसे यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है की यह लक्षण गुर्दों की तकलीफ से हैं या नहीं।
गुर्दों के रोग के लक्षण –
पांव और आँखों के पास सूजन होना, भूख कम लगना, मितली होना, उलटी आना, नींद कम आना, सूजन की वजह से वजन बढ़ना, खुजली होना आदि।
बचाव की युक्तियाँ –
१. रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना।
२. रक्तचाप नियंत्रण में रखना।
३. समय समय पर अपने चिकित्सक से मिलना और जांच करवाना ( जैसे किडनी फ़ंक्शन, पेशाब में प्रोटीन की मात्रा और कोलेस्ट्रॉल)।
६. तंत्रिका क्षति –
हमारी नसों में भी कई छोटी छोटी रक्त वाहिकाएं होती हैं। अनियंत्रित मधुमेह के कारण यह वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। आंकड़ों के हिसाब से मधुमेह से पीड़ित कम से कम 50% लोगों में न्यूरोपैथी (यानि की तंत्रिकाओं को क्षति) विकसित हो जाती है। यह आमतौर पर पैरों की नसों से शुरू होता है।
न्यूरोपैथी के लक्षण –
पैर सुन्न होना, अकड़ना, झुनझुनी होना, पैरों में जलन होना या दर्द होना। यह लक्षण आमतौर पर पैरों से प्रारंभ होते हैं और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ते जाते हैं। यह अंततः सभी नसों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस प्रकार रोगी को पैर में कोई चोट भी लग जाए तो वो उससे अनजान रहता है। इस से पैर में ज़ख़्म (अल्सर) विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
तंत्रिका क्षति के शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकती है – जैसे पाचन तंत्र की नसों को नुकसान हो सकता है जिससे कब्ज, दस्त, अपच, पेट में सूजन की अनुभूति, मतली या उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं। पुरुषों में यौन रोग हो सकता है।
बचाव की युक्तियाँ
१. रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना।
२. पैरों की अच्छी देखभाल और चोट लगने से बचना।
७. मधुमेह से पैरों में उत्पन होने वाली समस्याएं –
मधुमेह से पैरों में उत्पन होने वाली समस्याओं के कई कारणों हो सकते हैं – इनमें तंत्रिका क्षति सबसे महत्वपूर्ण है (इसकी वजह से मरीज़ चोट से अनजान रहते हैं और ज़ख़्म बढ़ता जाता है)। पैर की समस्याओं के अन्य कारण हैं – पैर में रक्त का प्रवाह कम होना, संक्रमण, अनुचित फुटवियर, नंगे पैर घूमना आदि। इससे पैर में ज़ख्म या फफोले हो सकते हैं। यदि समय पर इलाज नहीं कराया गया तो यह गंभीर हो सकते हैं और यहां तक कि विच्छेदन (amputation) की आवश्यकता हो सकती है।
बचाव की युक्तियाँ
१. अपने पैरों का चोट / ज़्ख़म के लिए रोज़ परीक्षण करें क्योंकि न्यूरोपैथी की वजह से हो सकता है आप दर्द महसूस नहीं करें।
२. अपने पैरों के नीचे देखने के लिए एक दर्पण का उपयोग करें।
३. अपने हाथों से शुष्क त्वचा, गर्म या ठंडे स्थानों के लिए महसूस करें।
४. कॉर्न्स / कैल्सीस / छाले / लाली / सूजन / नाखून के संक्रमण के लिए जाँच करें।
५. यदि आपकी त्वचा शुष्क है, एक मॉइस्चराइज़र (moisturizer ) का उपयोग करें (ध्यान रखें की मॉइस्चराइज़र का उपयोग पैर की उंगलियों के बीच में नहीं करना चाहिए)।
६. सही नाप के जूते और मोजे पहन कर रखें।
७. यदि दिक्कत ज़्यादा है, तो आप विशेष जूते भी बनवा सकते हैं।
८. गैस्ट्रोपैरेसिस (Gastroparesis) –
यह समस्या पेट और आंतों की तंत्रिका (जिसे वेगस कहते हैं) की क्षति की वजह से होती है। इससे खाना या तो धीमी गति से पेट से आगे बढ़ता है या बहुत तेजी से बढ़ता है।
लक्षण –
गैस्ट्रोपैरेसिस से मरीज़ को पेट में सूजन महसूस होना, परिपूर्णता, मतली और कब्ज जैसे लक्षण हो सकते है।
बचाव की युक्तियाँ
१. रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना।
२. भोजन कम मात्रा में परन्तु हर थोड़ी देर में लेना ( लगभग हर २-३ घंटे में)।
९. आँखों का रोग (रैटिनोपैथी) –
मधुमेह आँख की भी छोटी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकती है और आंखों में कई तरह की समस्याएं कर सकती है जैसे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा (आंख में बढ़ा दबाव) या संक्रमण। सबसे महत्वपूर्ण समस्या है रेटिनोपैथी (आँख के पीछे रेटिना में परिवर्तन)। अगर समय पर रेटिनोपैथी का इलाज नहीं किया जाए तो यह अंधापन पैदा कर सकती है। मधुमेह के अधिकांश रोगियों में कोई न कोई नेत्र रोग अवश्य हो जाता है।
याद रखें –
मधुमेह रेटिनोपैथी के अधिकांश रोगियों को उन्नत चरण तक दृष्टि में कोई भी परिवर्तन महसूस नहीं होता। उस समय तक उपचार के लिए बहुत देर हो चुकी होती है।
लक्षण–
दृष्टि में धुंधलापन, दृष्टि में धब्बे या लाइनें आना, आँखों से पानी बहना या दृष्टि कमज़ोर हो जाना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
बचाव की युक्तियाँ –
अपनी आँखों की जांच नियमित रूप से एक नेत्र विशेषज्ञ द्वारा करवाते रहना चाहिए। कम से कम एक साल में एक बार और अगर आँखों में रोग है तो हर ३-६ महीने में आँखों की जांच ज़रूर करवानी चाहिए।
१०. त्वचा की समस्याएं –
मधुमेह से त्वचा में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है – विशेष रूप से कवक (कैंडिडा, दाद, एथलीट्स फ़ुट) और बैक्टीरिया (स्टाइस, फोड़े, छाले, फोल्लिकुलिटिस , कार्बुनक्लेस)। अन्य त्वचा की समस्याएं हो सकती हैं जैसे मधुमेह डर्मोपैथी, ज़ैन्थोमाटोसिस और नेक्रोबिओसिस लिपॉइडिका डाइबिटिकोर्म।
११. मानसिक स्वास्थ्य –
मधुमेह अवसाद और स्मृति कम कर सकती है।
याद रखें –
१. आप को नियमित रूप से इन जटिलताओं के लिए अपनी जांच करवाते रहना चाहिए।
२. अपने A1c (रक्त शर्करा), ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की सामान्य श्रेणी में रख कर आप इन जटिलताओं से देर तक बच सकते हैं या इनको रोकने में भी कामयाब हो सकते हैं।